शास्त्री श्री भगीरथ पंड्या एक अनुभवी और आचार्य स्तर के विद्वान हैं, जो वैदिक परंपरानुसार शुद्ध और संकल्पबद्ध पूजा विधि एवं हवन अनुष्ठान संपन्न कराते हैं। वे विविध देवी-देवताओं की पूजा, शांति कर्म, संस्कार, यज्ञ एवं विशेष तांत्रिक-वैदिक अनुष्ठानों में पारंगत हैं।
गृहशांति पूजा एक शुभ वैदिक अनुष्ठान है, जो नए घर में प्रवेश, ग्रह दोषों की शांति, परिवार में सुख-शांति एवं समृद्धि हेतु किया जाता है। इस पूजा के माध्यम से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा, सौभाग्य एवं मंगल प्रभाव बढ़ता है।
भूमि शुद्धिकरण पूजा एक पवित्र वैदिक अनुष्ठान है, जो किसी नए भवन निर्माण, गृह निर्माण, खेती, प्लॉट खरीद या मंदिर स्थापना से पूर्व भूमि की शुद्धि और दोष निवारण के लिए किया जाता है। इस पूजा द्वारा भूमि पर विद्यमान नकारात्मक ऊर्जा, पाप या पूर्व कर्मों के प्रभाव को शांत किया जाता है।
वास्तु पूजा एक पवित्र वैदिक अनुष्ठान है, जो नए घर, दुकान, कार्यालय या भवन निर्माण से पूर्व भूमि और संरचना की शुद्धि एवं वास्तुदोष निवारण हेतु किया जाता है। इस पूजा से निर्माणस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भवन में सुख-शांति, समृद्धि व सुरक्षा बनी रहती है।
विवाह संस्कार पूजा एक अत्यंत पवित्र वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें वर और वधू को वैदिक मंत्रों द्वारा सात फेरे, सप्तपदी, हवन, और मंगल विधियों के माध्यम से वैवाहिक बंधन में बांधा जाता है। यह केवल एक सामाजिक रिश्ता नहीं, बल्कि आत्मा और संस्कारों का दिव्य मिलन होता है।
सत्यनारायण कथा एक लोकप्रिय और पुण्यदायक धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान विष्णु के सत्यस्वरूप की पूजा और कथा वाचन किया जाता है। यह कथा विशेष रूप से पूर्णिमा, एकादशी, गृहप्रवेश, विवाह, संकल्प पूर्ति या किसी शुभ कार्य के उपलक्ष्य में की जाती है।
श्री रांदल माता पूजा एक श्रद्धा एवं भक्ति से भरा लोकिक और धार्मिक अनुष्ठान है, जो विशेष रूप से गुजरात और आसपास के क्षेत्रों में किया जाता है। रांदल माता को शक्ति, समृद्धि, संतान रक्षण और कुल-रक्षा की देवी माना जाता है। यह पूजा विशेष रूप से संतान सुख, परिवार की मंगलकामना और कुल देवी के आशीर्वाद हेतु की जाती है।
रुद्राभिषेक पूजा एक अत्यंत प्रभावशाली वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान शिव के शिवलिंग रूप का विधिवत जल, दूध, घृत, शहद, बेलपत्र आदि से अभिषेक करते हुए वेदों में वर्णित रुद्रसूक्त और शिव मंत्रों का जाप किया जाता है। यह पूजा शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली मानी जाती है।
लघुरुद्र पूजा भगवान शिव के रुद्र रूप की आराधना का एक प्रभावशाली वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें रुद्रसूक्त का 11 बार पाठ कर शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता है। यह पूजा रुद्राभिषेक से एक स्तर उच्च मानी जाती है और विशेष संकल्प, शांति, उन्नति तथा दोष निवारण के लिए की जाती है।
महारुद्र यज्ञ एक अत्यंत प्रभावशाली और दिव्य वैदिक अनुष्ठान है, जो भगवान शिव के रुद्र स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इसमें 11 अथवा 121 रुद्राभिषेक, रुद्रसूक्त के मंत्रों द्वारा हवन, और महाशांति पाठ शामिल होते हैं। यह यज्ञ जीवन में शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति हेतु अत्यंत फलदायक माना जाता है।
विष्णु यज्ञ एक पावन वैदिक अनुष्ठान है, जो भगवान श्रीविष्णु को समर्पित होता है। इस यज्ञ में वैदिक ऋचाओं, विष्णु सहस्रनाम, और नारायण कवच के मंत्रों के साथ अग्निहोत्र (हवन) किया जाता है। यह यज्ञ जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
नवचंडी पूजा एक अत्यंत शक्तिशाली और शुभ वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें देवी दुर्गा के 700 श्लोकों वाले दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ विशेष हवन किया जाता है। यह पूजा नव दुर्गा के सभी रूपों को समर्पित होती है और विशेष रूप से शक्ति, विजय, स्वास्थ्य, समृद्धि तथा कष्ट निवारण के लिए की जाती है।
शतचंडी पूजा एक अत्यंत शक्तिशाली और विशेष वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें दुर्गा सप्तशती के सभी 700 श्लोकों का 100 बार पाठ कर देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का आवाहन और हवन किया जाता है। यह पूजा महान कार्य सिद्धि, शक्ति प्राप्ति, कष्ट निवारण और विश्व कल्याण हेतु की जाती है।
सहस्रचंडी यज्ञ एक अत्यंत दुर्लभ, शक्तिशाली और महाशक्तिपूर्वक वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें दुर्गा सप्तशती (700 श्लोक) का 1000 बार पाठ किया जाता है। यह अनुष्ठान देवी दुर्गा के चंडी रूप की कृपा प्राप्त करने, महान कार्य सिद्धि, राष्ट्रकल्याण, विश्वशांति, तथा सभी प्रकार की दैविक, भौतिक और आध्यात्मिक बाधाओं के निवारण हेतु किया जाता है।
कालसर्प दोष जनन शांति पूजा एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है, जो जन्मकुंडली में कालसर्प योग के कारण उत्पन्न होने वाले मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्टों से मुक्ति पाने हेतु किया जाता है। इस पूजा के माध्यम से राहु-केतु की प्रतिकूल स्थितियों को शांत किया जाता है और जीवन में सुख-शांति, समृद्धि तथा उन्नति की प्राप्ति होती है।
नक्षत्र जनन शांति पूजा एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है, जो बच्चे के जन्म के समय अशुभ नक्षत्र या ग्रह स्थितियों के कारण संभावित दोषों को शांत करने हेतु की जाती है। इस पूजा से शिशु के जीवन में स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
देवी प्रतिष्ठा पूजा एक पवित्र वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें किसी देवी की मूर्ति या यंत्र को विधिवत मंत्रोच्चार, आवाहन, प्राणप्रतिष्ठा और पूजन के द्वारा जागृत किया जाता है। यह पूजा देवी की शक्ति को स्थिर करने, सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करने और स्थायी रूप से पूजा हेतु स्थान पर प्रतिष्ठित करने के लिए की जाती है।
यंत्रविधान पूजा एक विशेष वैदिक प्रक्रिया है, जिसमें किसी देवी-देवता के यंत्र (जैसे श्री यंत्र, नवग्रह यंत्र, महाकाली यंत्र आदि) को मंत्रोच्चार और विधिपूर्वक जागृत कर स्थापित किया जाता है। इस पूजा का उद्देश्य उस यंत्र में दैवीय शक्ति का संचार कर उसे साधक के लिए फलदायक बनाना होता है।
त्रिपिंडी श्राद्ध एक महत्वपूर्ण वैदिक क्रिया है, जो पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए की जाती है। इस श्राद्ध में विशेष रूप से तीन पीढ़ियों - पिता, पितामह (दादा), और प्रपितामह (परदादा) - तथा उनके साथ की मातृशक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
पितृकार्य पूजा एक श्रद्धा और कृतज्ञता से भरा वैदिक अनुष्ठान है, जो हमारे पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति, तृप्ति और मोक्ष हेतु किया जाता है। इस पूजा में तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन द्वारा पितरों का स्मरण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
शापित दोष निवारण पूजा एक विशिष्ट वैदिक अनुष्ठान है, जो जन्म कुंडली में मौजूद शापित दोष (जब कोई शुभ ग्रह पाप ग्रहों से पीड़ित होता है) को शांत करने और उसके दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में चल रही बार-बार की विफलताओं, मानसिक क्लेश, विवाह/संतान में बाधा, या पारिवारिक अशांति को दूर करने में सहायक होती है।
श्रीमद्भागवत पारायण पाठ एक अत्यंत पुण्यदायक और भक्तिमय अनुष्ठान है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, भक्ति, धर्म और मोक्ष का सुंदर वर्णन किया गया है। यह पाठ 7 दिन (सप्ताह), 3 दिन या एक दिन में पूर्ण किया जा सकता है, जिसमें कथा श्रवण, संकीर्तन और हवन आदि सम्मिलित होते हैं।